नीति आयोग |
नीति आयोग क्या है
योजना आयोग के स्थान पर 1 जनवरी, 2015 को "राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान" नीति आयोग (National Institution for Transforming India NITI) की स्थापना एक सरकारी संकल्प द्वारा की गई। जिसकी केबिनेट अधिसूचना 7 जनवरी, 2015 को जारी की गई। नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री है। नीति आयोग सहकारी के सिद्धांत का परिपालन करते हुए भारत सरकार को नीतिगत मुद्दों पर सलाह देने हेतु एक थिंक-टैंक की भांति कार्य करेगा। यह अपने पूर्ववर्ती योजना आयोग की तुलना में अधिक समावेशी संस्था है।
नवगठित नीति आयोग का संगठन
- अध्यक्ष - प्रधानमंत्री (श्री नरेंद्रमोदी)
- उपाध्यक्ष - डॉ. राजीव कुमार (प्रथम अध्यक्ष अरविंद पनगडिया) प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त वी.के. सारस्वत, प्रो. रमेश चन्द
- पूर्णकालिकसदस्य - विवेक देवरॉय, व डॉ. वी.के. पॉल
- पदेन सदस्य - राजनाथ सिंह (गृह मंत्री), अरुण जेटली (वित्त मंत्री), सुरेश प्रभु (रेलवे मंत्री), राधामोहन सिंह (कृषि मंत्री) ।
- विशेष आमंत्रित सदस्य-नीतिन गडकरी, स्मृति जुबिन ईरानी,थावरचंद गहलोत ।
- सीईओ : पूर्व में सिंधुश्री खुल्लर और वर्तमान श्री अमीताभ कांत(नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा)
शाषी परिषद -
सभी राज्यों एवं विधानमंडलों से युक्त संघ राज्यों के मुख्यमंत्री एवं अन्य संघ राज्य क्षेत्रों के ले. गवर्नर।
क्षेत्रीय परिषद -
एक से अधिक राज्य या क्षेत्र पर प्रभाव डालने वाले विशेष मुद्दों और आकस्मिकताओं की स्थिति में क्षेत्रीय परिषद का गठन किया जाएगा। ये एक निर्धारित अवधि के लिए गठित होंगे। प्रधानमंत्री क्षेत्रीय परिषदों के संयोजक होंगे और उस क्षेत्र के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री तथा केंद्रशासित प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर इसके अध्यक्ष होंगे।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नवगठित योजना आयोग की जगह नीति आयोग की पहली बैठक 8 फरवरी, 2015 को नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस बैठक में नीति आयोग के अंतर्गत मुख्यमंत्रियों की तीन उपसमितियां गठित करने की घोषणा की गई। ये उप-समितियां निम्नलिखित हैं
1. केंद्र प्रायोजित 66 योजनाओं के अध्ययन व मूल्यांकन हेतु एक उपसमिति ।
2. राज्यों में कौशल विकास के प्रोत्साहन और कुशल जन-शक्ति के सृजन हेतु दूसरी उपसमिति।
3.'स्वच्छ भारत अभियान' के लिए एक उपसमिति का गठन किया गया।
इसके अलावा सभी राज्यों को अपने-अपने राज्य में नीति आयोग के कृत्वाधान में दो कार्यबल गठित करने की सलाह दी गई। इनमें एक कार्यवल राज्य में गरीबी उन्मूलन पर तथा दूसरा राज्य में कृषि के विकास पर ध्यान देगा।
नीति आयोग के उद्देश्य
1. राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टि में रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास, प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साक्ष्य दृष्टिकोण विकसित करना।
2.पहल और क्रियाविधि के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना।
3.ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने हेतु तंत्र विकसित करना और उत्तरोत्तर सरकार को उच्च स्तरों तक पहुंचाना।
4.सुनिश्चित करना कि जो क्षेत्र, विशेष रूप से इसे सौंपे गए हैं, उनकी आर्थिक कार्यनीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया।
5.समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान देना जिन पर आर्थिक प्रगति से समुचित रूप से लाभान्वित न हो पाने का जोखिम हो।
6. रणनीतिक और दीर्घावधिक नीति तथा कार्यक्रम का ढ़ांचा तैयार कर पहल करना तथा उनकी प्रगति और क्षमता की निगरानी करना।
7. महत्वपूर्ण हितधारकों तथा समान विचारधारा वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिंक-टैंकों के साथ-साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच परामर्श और भागीदारी को प्रोत्साहन देना।
8. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, व्यावसायिकों तथा अन्य साझेदारों के सहयोग समुदाय के जरिए ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता समर्थक प्रणाली बनाना।
9. विकास के एजेंडे में गति लाने के क्रम में अंतक्षेत्रीय और अंतर्विभागी मुद्दों के समाधान हेतु मंच प्रदान करना ।
10. कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन हेतु प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
11. अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाना जो सुशासन तथा सतत और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसंधान करने के साथ-साथ हितधारकों तक जानकारी पहुंचाने में मदद करें।
12. आवश्यक संसाधनों की पहचान करने सहित कार्यक्रमों और उपायों कार्यान्वयन का सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय निगरानी करना।
13. राष्ट्रीय विकास एजेंडा और उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियों को संपादित करना।