GM फ़ूड क्या है? कैसे बनता है GM food kya hai ? kese banta hai

GM फ़ूड क्या है? कैसे बनता है GM food kya hai ? kese banta hai

नमस्कार साथियों,
आज की जीवन शैली में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है,सब चाहते है कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे और वो बीमार ना हो।समय के अनुसार लोग काफी जागरूक हो रहे है,और होना भी चाहये।एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए सबसे पहले जरूरी है अच्छा भोजन। जी हां! एक अच्छा पोष्टिक भोजन आपको हमेशा स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखता है। भोजन के कुछ नाम जैसे- शाकाहारी भोजन, मांसाहारी भोजन, फ़ास्ट फ़ूड, जंक फूड आदि से आप परिचित हो। आजकल एक नया नाम काफी चर्चा में है- GM फ़ूड। आज का हमारा टॉपिक इसी पर है, चलिए जानते है क्या है GM फ़ूड।

GM food kya hai
GM food

GM फ़ूड का मतलब (Genetically modified food) यानी आनुवंशिक रूप से संशोधित भोजन है। आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है कि किसी पेड़-पौधे या जीव के आनुवांशिक या प्राकृतिक गुण को बदलना। इन आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों को अक्सर संक्षेप में जीएमओ कहा जाता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग  एक जीव के जीन में सीधे हेरफेर करने की प्रक्रिया है,उदाहरण के लिए- अन्य जीवों के DNA को ट्रांसप्लांट करके।

इसके अंदर डीएनए या जीनोम कोड को बदल दिया जाता है। बायोटेक्नोलॉजी में जेनेटिक इंजीनियरिंग एक महत्वपूर्ण शाखा मानी जाती है।जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड का मुख्य लक्ष्य आनुवांशिक गुणों को बदलकर ऐसे गुण लाना है जिससे मानव जीवन को फायदा हो। क्या यह वास्तव में फायदा पहुंचा रहा है? क्या आने वाले समय में इसकी जरूरत बढ़ेगी? ऐसे बहुत सारे सवाल है जिनके जवाब दुनियाभर के वैज्ञानिक ढूंढ़ने में लगें हैं। भारत में भी इसके प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन खुले रूप से इसके फायदों व नुकसान की बातें कम होती है। इसके लिए सबसे पहले हमें GM फ़ूड के इतिहास और प्रक्रिया को समझना होगा।

GM फ़ूड का इतिहास

  • आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ 1994 से अमेरिकी बाजार में हैं, उदाहरण के लिए "फ्लेवर सेवर" टमाटर की शुरुआत  से, जिसे अधिक धीरे-धीरे पकने के लिए इस पद्धति से निर्मित किया गया था।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में उगाए जाने वाले अधिकांश मकई और सोया के पौधों को आनुवंशिक रूप से इस प्रकार संशोधित किया गया है कि वे कीटनाशक रसायनों के प्रतिरोधी हों, ताकि खरपतवार नाशक के साथ खेतों को स्प्रे करना आसान हो।

  • बीटी-बैंगन के उत्पादन के लिये 2005 में अमेरिकन कृषि बायोटेक कंपनी मोनसेंटो की भारतीय सहयोगी कंपनी महिको ने दो विश्वविद्यालयों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। दो विशेषज्ञ समितियों के द्वारा जैव सुरक्षा और क्षेत्र परीक्षणों के अध्ययन के बाद बीटी-बैंगन को GEAC( जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी)  ने 2009 में इसके वाणिज्यिक उत्पादन करने की मंज़ूरी भी दे दी। लेकिन इसके बाद में हुए भारी विरोध को देखते हुए सरकार ने इसके उत्पादन को स्थगित कर दिया।

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GM फ़ूड की प्रक्रिया-


जेनेटिक इंजीनियरिंग या जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फूड के जरिए फसलों के गुणों में बदलाव किया जाता है। मतलब, अगर राजस्थान में धान की खेती करनी हो और पानी कम है तो ऐसे बीज तैयार किए जाए जो कम पानी में ही अच्छी फसल उगा सकें। अगर सब्जियों को कीड़ों के प्रकोप  से बचाना है तो उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाएं। पहली नजर में यह इंजीनियरिंग किसानों के लिए वरदान साबित होती लगती है और है भी। केई सालों पहले जब देश में खाद्यान की कमी पड़ी तो हरित क्रांति के अंतर्गत इसी इंजीनियरिंग के जरिए बंपर पैदावार को संभव बनाया गया, लेकिन बहुत जल्दी इसके दुष्प्रभाव भी सामने आ गए, जो चौंकाने वाले थे। 

Genetically modified food
Genetically modified food



GM फ़ूड/फसलों के फायदे-

  • इस प्रक्रिया से निर्मित बीज साधारण बीज से कहीं अधिक उत्पादन की क्षमता रखते है।
  • इससे कृषि क्षेत्र की बहुत सी समस्याएँ दूर हो जाएगी और उत्पादन भी बढ़ेगा।
  • GM फसलों की मुख्य विशेषता उनका कीट प्रतिरोधी होना,सूखा रोधी व बाढ़ रोधी होना है।
  • GM फसल अधिक उर्वर होने के कारण इसमें कीटनाशकों की जरूरत नही पड़ती है।

GM फ़ूड/फसलों के  दुष्प्रभाव-

  • बीटी कॉटन और बीटी बैंगन , इन फसलों के बीजों को जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए तैयार किया गया था। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक थी और कीड़े लगने का खतरा भी नहीं था। फसल की बम्पर पैदावार हुई और किसानों की चांदी हो गई, लेकिन कुछ ही हफ्तों में देखा गया कि बीटी कॉटन की फसलों के पत्ते खाकर करीब 1600 भेड़ें मर गईं और कई दूसरे जानवर दृष्टिहीन हो गए। अगर जानवरों पर ऐसा बुरा प्रभाव पड़ा तो क्या इन्सानो पर असर नहीं पड़ेगा?
  • सन् 2002 में 55 हजार किसानों ने देश के चार मध्य और दक्षिणी राज्यों में कपास फसल उगाई थी। फसल रोपने के चार महीने के बाद कपास के ऊपर उगने वाली रुई ने बढ़ना बंद कर दिया था। इसके बाद पत्तियां गिरने लगीं।अकेले आंध्र प्रदेश में ही कपास की 79 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा। नतीजा यह हुआ कि कई राज्यों के किसानों ने नुकसान की वजह से आत्महत्या कर ली। 
  • विशेषज्ञ इसे कैंसर जैसी बीमारियों के फैलने की वजह मानते हैं। वे कहते हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना सामान बेचने के लिए उसे सस्ता करने पर तुली हैं, लेकिन वह यह नहीं देख रही कि यह मानव सभ्यता के साथ खिलवाड़ है। प्रयोगशालाओं में आर्टिफिशियल मांस तैयार किया जा रहा है जिसे लोग खा सकें। इसकी क्या वास्तव में हमें जरूरत है?
व्यापक रूप से वैज्ञानिकों की सहमति है कि वर्तमान में बाजार में आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ नियमित खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक अच्छे है और स्वास्थ्य जोखिम नहीं रखते हैं। फिर भी, Gm खाद्य पदार्थ विवादास्पद हैं।  विरोधियों का तर्क है कि आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें रासायनिक कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग जैसी चीजों को जन्म दे सकती हैं। 

इससे इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या gm फ़ूड को वर्तामान बाजार में विस्तृत होने दिया जाए या इस पर रोक लगाई जाए।एक यूरोपीय अदालत ने खाद्यान्नों पर gm फ़ूड को खतरनाक बताकर इसे लोगों से दूर रखने की हिदायत दी है। ऐसे फूड प्रोडक्ट के डिब्बों पर जानकारी देने का आदेश दिया है। 

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क्या  भारत में GM फ़ूड उत्पादन की जरूरत है? 

वर्ष 2002 में विश्व खाद्य सम्मेलन में गरीबी-भुखमरी पर चर्चा हुई थी। विकसित देशों ने कहा कि भूमंडलीकरण से ही भुखमरी मिट सकती है और बायोटेक्नोलॉजी के जरिए ही इस  संकट को हल किया जा सकता है।फसलों की पैदावार और उपभोग के अनुपात पर दिए गए आंकड़ों पर बहस जारी है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत या दुनियाभर में फसलों की पर्याप्त पैदावार हो रही है। दिक्कत फसलों के  अच्छे प्रबंधन की है। मसलन, भारत में जिस तरह बंदरगाहों पर फसलें बर्बाद हो जाती हैं, उसके रखरखाव की  कोई उचित वयवस्था नहीं है। भारत में भुखमरी मिटी नहीं है, लेकिन इसका हल जीएम फूड की बंपर पैदावार नहीं बल्कि फसलों का मैनेजमेंट है। जरूरत प्राकृतिक फूड चेन को बचाने की है।

निष्कर्ष-

दोस्तों  आज हमारा खाना एक प्रकार से  किलर बन चुका है। भारत में GM फूड और खाद को इस्तेमाल करने के कोई मापदंड नहीं हैं। हम प्राकृतिक गुण वाले अनाज के बजाए मशीन जैसा सटीक और चमकीला दिखने वाला  अनाज खाना चाहते हैं। फसलों के गुणों में बदलाव करने से  प्रकृति के फूड चेन सिस्टम को बदल गया है। मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाला केंचुआ खत्म हो  चुका है। खाने का गलत प्रभाव हमारे शरीर पर दिखना शुरू हो चुका है।

हम आशा करते हें की आपको आज का हमारा यह लेख GM फ़ूड क्या है? कैसे बनता है GM food kya hai? Kese banta hai बहुत पसंद आया होगा। हम कोशिश करेंगे की इसी तरह की और भी बहुत अच्छी अच्छी जानकारी आपके लिए लाते रहें। इस लेख से संबन्धित कोई भी तरह का सुझाव या सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स मे पूछ सकते हें ।

धन्यवाद।

 

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