आज हम आपको फसल बीमा के बारे में बताने जा रहे हैं ,कि फसल बीमा क्या होता है?कैसे बनता है? कैसे क्लेम की गणना होती है।
फसल बीमा क्या है?
फसल बीमा में किसान अपनी फसल की बुवाई होने के बाद उसकी सुरक्षा के लिए कुछ प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को देता है।इसके बदले में बीमा कंपनी द्वारा उसकी फसल में होने वाले नुकसान जैसे-अत्यधिक बरसात, सूखा ,मौसमी बीमारी, कीटों से नुकसान या कम उपज आदि परिस्थितियां बनने पर किसान को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
आम तौर पर किसान को पता रहता है कि फसल का बीमा किया हुआ है क्योंकि बीमा के लिए प्रीमियम राशि बैंक द्वारा KCC धारक किसान के खाते से काटी जाती है या किसान सीएससी के माध्यम से फसल बीमा करवाता है ।यह राशि अलग-अलग मौसम के अनुसार होती है। जैसे खरीफ की फसल में प्रीमियम राशि 2% ,रबी में 1.5% होती है तथा बागवानी फसलों के लिए 5% होती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा क्या है,फसल बीमा क्लेम कैसे बनता है? Pardhanmantri fasal bima kya he,fasal bima claim keise banta he?
फसल बीमा में देय प्रीमियम राशि का अधिकतम (2% खरीफ, 1.5% रबी,5% उद्यानिकी) किसान द्वारा बहन किया जाता है शेष राशि 50 50% के अनुपात में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है।
Pmfby की अधिसूचना में उपयोग ली गई शब्दावली
सर्वप्रथम हमें फसल बीमा में प्रयोग की जाने वाली शब्दावली का पता होना चाहिए-
1. औसत उपज-
पटवार/ तहसील सर पर अधिसूचित फसलों में विगत 7 वर्षों में श्रेष्ठ 5 वर्षों का औसत लिया जाता है।
2. जोखिम स्तर-
slccci द्वारा जोखिम स्तर 80% तय किया गया है।
3. गारंटी उपज-
अधिसूचित फसलों के लिए विगत 7 वर्षों में श्रेष्ठ 5 वर्षों की औसत उपज को जोखिम स्तर से गुणा कर गारंटी उपज ज्ञात की जाती है।
4.बीमित राशि-
अधिसूचित फसलों में विगत 7 वर्षों में से श्रेष्ठ 5 वर्षों की औसत उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य /बाजार भाव से गुणाकर ज्ञात की जाती है।
5. वास्तविक प्रीमियम राशि-
वास्तविक बीमांकित दर को बीमित राशि से गुणा कर प्राप्त होती है।
6. क्षतिपर्ति की गणना-
अधिसूचित इकाई में अधिसूचित फसल के निर्धारित फसल कटाई प्रयोग के आधार पर वास्तविक उपज यदि गारंटी उपज से कम रहती है तो छतिपूर्ति बीमित फसल के कृषक को देय होती है जिसकी गणना निम्न अनुसार होती है-
उपज में कमी×बीमित राशि/गारन्टी उपज
(उपज में कमी=गारन्टी उपज-वास्तविक उपज)
फसल कटाई प्रयोग CCE क्या होता है?
पटवार स्तर पर अधिसूचित फसलों में प्रत्येक फसल के चार फसल कटाई प्रयोग किए जाते हैं। जिसमें दो प्रयोग राजस्व विभाग करता है तथा दो प्रयोग कृषि विभाग के द्वारा किए जाते हैं ।प्रयोग के लिए नियमानुसार खसरे का चयन होने के बाद खेत के अंदर 5 ×5 का प्लॉट तैयार किया जाता है।प्लॉट तैयार होने के बाद में फसल की कटाई की जाती है तथा उसे सूखने के लिए रख दिया जाता है।
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प्लॉट निर्धारण के बाद क्रॉप कटिंग |
फसल सूखने के बाद में थ्रेसिंग की जाती है तथा दाने अलग कर लिए जाते हैं। और दानों का वजन तोल कर पटवारी या कृषि पर्यवेक्षक अपने फॉर्म में भर लेता है।
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फसल सूखने के बाद थ्रेसिंग |
इस प्रकार 1 फसल के चार प्रयोग होने पर उनसे प्राप्त आंकड़ों को वास्तविक उपज कहते हैं।
अब अगर वास्तविक उपज गारंटी ऊपर से कम है तो नुकसान माना जाता है तथा गारंटी उपज से अधिक होने पर फसल में नुकसान नहीं माना जाता है। जितने प्रतिशत नुकसान होता है उसी हिसाब से गणना करके बीमा कंपनियां क्लेम निर्धारित करती है तथा बीमा कंपनी द्वारा बीमित राशि किसान के खाते में भेज दी जाती है
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फसल से दाने अलग करने की प्रक्रिया |
अब अगर वास्तविक उपज गारंटी ऊपर से कम है तो नुकसान माना जाता है तथा गारंटी उपज से अधिक होने पर फसल में नुकसान नहीं माना जाता है। जितने प्रतिशत नुकसान होता है उसी हिसाब से गणना करके बीमा कंपनियां क्लेम निर्धारित करती है तथा बीमा कंपनी द्वारा बीमित राशि किसान के खाते में भेज दी जाती है
प्रधानमंत्री फसल बीमा क्या है,फसल बीमा क्लेम कैसे बनता है? Pardhanmantri fasal bima kya he,fasal bima claim keise banta he?
आप pmfby की आधिकारिक वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते है- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
आशा करता हुँ कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप सभी संतुष्ट होंगे।बहुत से किसान जानकारी के अभाव में योजना को समझ नही पाते है तथा उसका लाभ नही ले पाते है। उम्मीद है ये जानकारी उन किसानों के लिए लाभदायक होगी।
धन्यवाद
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